आज कल का प्यार NICE LOVE STORY


EK KAHANI ..............आज कल के प्यार की



EK KAHANI ..............आज कल के प्यार की । प्यार का मतलब बदल चूका है आज जिस्म की भूख को प्यार कहते है। मेरा प्यार कितना अमीर है । वो कितने स्टाइलिश कपडे पहनता है। वो कितना पैसा कमाता है । वो कौन सी गाड़ी में चलता है । वो कौन सा मोबाइल रखता है किस पब में जाता है उसकी हैसियत क्या है। उसकी लम्बाई कितनी अच्छी है। उसका बाप क्या है ।

ये सब आज के प्यार के लिए जरूरी है। ये जरूरी नहीं की वो आपका साथ देगा । या नहीं ये जरूरी नहीं की वो आपकी फीलिंग्स समझे या नहीं। बस एक स्टेटस बन के रह गया है। आज प्यार फ़ोन से शूरू और बिस्तर पर ख़त्म हो जाता है। मेरा एक दोस्त है में जब भी मिलता हु। एक नयी लड़की के साथ होता है।इस से पहले में पुछु ये कौन है । वो उस लड़की के सामने ही कहने लगता है।की ये मेरा प्यार है 


और में इस से शादी करूँगा। मुझे आज तक धोखे मिले है । लेकिन इस से सच्चा वाला प्यार है। 
सत्य ये है की उस लड़की के लिए ये दोस्त । और दोस्त के लिए लड़की सिर्फ शाररिक जरूरत है।
उसे आने वाली generation प्यार कहेगी । और कह भी रहे है। एक जमाना था अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाते थे लोग। किसी को 5 साल किसी को 8 साल और ।किसी की पूरी जिंदगी निकल जाती थी । 

प्यार का इजहार करने में। वो एहसास् कहा गया जब अपने प्यार की एक नजर से सारे दुःख दर्द मिट जाते थे । और हजारो शब्दों को एक ऐसा खुशनुमा । एहसास जिसे पढ़ने में महीनो गुजर जाते थे। 
वो झुकी हुई पलके वो शर्मोहया इस जिस्म के। भूखे भेडियो ने कही खो दी।

मुझे याद है उसका शर्माना वो खामोश नजरो से हजारो शव्दों को कह जाना। आज सालो बाद भी उसका याद आना और भीड़ भरी इस दुनिया में मुझे तनहा कर जाना इन खामोश नजरो में आंशुओं का छलक जाना।वो प्यार का एहसास कही खो गया है इस मोबाइल की दुनिया में यार वो तेरा 
मुस्कुराना वो सब को भूल जाना तेरी हर बात को हज़ारो बार दोहराना मुझे याद आता 
मुझे तू याद आता है ;

वो रूह से प्यार था। वो अमर था क्यों की शरीर तो नाशवान है और रूह अमर।
आज मैं किसी से कहता हु की भाई ये प्यार नहीं तो मुझे कहते है की भइया तुम तो हनुमान भक्त हो तुम क्या जानो प्यार क्या होता है। मैं कुछ नहीं कह पाता लेकिन दिल गर्व से कहता है की हाँ मैंने प्यार किया है किसी की रूह से उसके एहसास से उसकी फीलिंग्स से जिसे तुम प्यार कहते हो वो सिर्फ जिस्म की भूख है और दिखावा है। 

किसी ग़ालिब ने कहा है ज़िस्म की बात नही थी उनकी रूह तक जाना था,लंबी दूरी तय करने मे वक्त तो लगता है । आज हम एडवांस जमाने की दुहाई देते है । आज मिले 5 मिनट में मोबाइल पर आई लव यू बोला कल को डेट पर जाते है शाम को बिस्तर पर और 10-15 दिन या 1-2 महीने में मन भर जाता है तो फ़ोन पर ही अलग हो जाते है। क्या यही प्यार है। प्यार तो वो एहसास है जो पूरी जिंदगी नहीं मिटता। 

प्यार औकात नहीं देखता जिस्म नहीं देखता। प्यार को प्यार रहने दो जिस्म का बाजार न बनाओ।आपकी नजरो में प्यार क्या है। जिस्म की भूख या खुशनुमा एहसासों का वो समुंद्र जिसकी कोई सीमा नही।लास्ट में एक शायरी अतहुलाह खान साहब की

कोई कह दे ये मोह्हबत के खरीदारो से मोह्हबत वो शय नही जो मिलती नही बाज़ारो से
हम तो पहले ही मोह्हबत में जले बैठे है क्यों डराते हो दहकते आंगरो से .. 
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